लेखनी कहानी -11-Nov-2022 संयम
आज के जमाने में "संयम" किस चिड़िया का नाम है
"खाओ पीओ ऐश करो" ये जिंदगी इसी का नाम है
"चरित्र" आवारा हो गया और "मर्यादा" घर से भाग गई
"वर्जनाओं" की लकीर पीछे छूट गई "वासना" जाग गई
प्रेम की छाया में दैहिक आकर्षण फल फूलकर पक रहा
"रोज नया साथी" के आगे "जनमों का रिश्ता" थक रहा
ना बड़ों का आदर सम्मान ना बुजुर्गों की सलाह चाहिए
"मेरी मरजी" का जमाना है "आजादी" बेहिसाब चाहिए
अब तो नानी भी कहती है कि शादी से पहले मां बन जाओ
किसी को पकड़ो, किसी को छोड़ो किसी के संग बस जाओ
नग्नता, फूहड़ता अट्टहास कर रहे लाज ने मुंह छुपा लिया
झाड़ियों में पड़े नवजात को कुत्तों ने नोंच नोंच के खा लिया
वृद्धाश्रम आबाद हो रहे अनाथालयों में भीड़ बढ रही
आगे निकलने की होड़ में मौत जिंदगी पर चढ रही
संयम अनुशासन सदाचार अब पुराने फंडे हो गये
आधुनिकता की दौड़ में "नैतिक मूल्य" कहीं खो गये
जीवन यात्रा में "विचारों का कचरा" यहां वहां बिखरा है
टोका टाकीज करने वाला आज की पीढी को अखरा है
श्री हरि
11.11.22
Gunjan Kamal
16-Nov-2022 08:19 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Raziya bano
12-Nov-2022 10:04 AM
बहुत खूब
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Sachin dev
11-Nov-2022 06:34 PM
बहुत सुन्दर रचना
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